जानें कौन हैं MEA सचिव विदिशा मैत्रा, जिसने UN में उड़ाई इमरान खान की धज्जियां
By स्वाति सिंह | Updated: September 28, 2019 14:45 IST2019-09-28T14:45:31+5:302019-09-28T14:45:31+5:30
Who is Vidisha Maitra: विदिशा मैत्रा को सिक्योरटी काउंसिल (पड़ोस/क्षेत्रीय) से जुड़े मामलों की जिम्मेदारी भी दी गई हैं । इसके अलवा वह विशेष राजनीतिक मिशन में भी अहम भूमिका निभाती हैं।

साल 2009 में ट्रेनिंग के दौरान विदिशा मैत्रा को बेस्ट ट्रेनिंग ऑफिसर से सम्मानित किया गया था।
संयुक्त राष्ट्र (यूएन) में शनिवार को पाकिस्तानी प्रधानमंत्री को एमईए सचिव विदिशा मैत्रा ने मुंहतोड़ जवाब दिया। भारत की सचिव विदिशा मैत्रा ने कहा 'राइट ऑफ रिप्लाई' का इस्तेमाल करते हुए कहा कि परमाणु हमले की धमकी देकर इमरान खान ने अस्थिरता पैदा करने की कोशिश की है।
जानें कौन है विदिशा मैत्रा?
बता दें कि विदिशा मैत्रा यूएन में भारत की पहली सचिव हैं। यूएन मिशन में मैत्रा भारत की सबसे नई अधिकारी हैं। इसके अलावा मैत्रा के पास गुट निरपेक्ष देशों के साथ समन्वय, शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन की जिम्मेदारी है। साथ ही यूएन के जरिए दुनिया के नामी-गिरामी विश्वविद्यालयों, कॉलेजों और शिक्षण संस्थान से संपर्क करने का दायित्व भी विदिशा मैत्रा के पास है। वह 2008 बैच की एक आईएसएफ अधिकारी हैं। वर्ष 2009 से ही भारतीय विदेश सेवा की अधिकारी हैं। साल 2009 में ट्रेनिंग के दौरान उन्हें बेस्ट ट्रेनिंग ऑफिसर से सम्मानित किया गया था।
संयुक्त राष्ट्र में उन्हें सुरक्षा परिषद रिफॉर्म से जुड़े मामलों को देखने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। मैत्रा को सिक्योरटी काउंसिल (पड़ोस/क्षेत्रीय) से जुड़े मामलों की जिम्मेदारी भी दी गई हैं । इसके अलवा वह विशेष राजनीतिक मिशन में भी अहम भूमिका निभाती हैं।
विदिशा मैत्रा ने उड़ाई PAK पीएम इमरान खान की धज्जियां
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन में प्रथम सचिव विदिशा मैत्रा ने कहा 'ऐसा माना जाता है कि इस मंच से बोले गए हर शब्द का इतिहास से वास्ता है। दुर्भाग्य से पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान से हमने आज जो भी सुना वह दोहरे अर्थों में दुनिया का निर्मम चित्रण था। हम बनाम वह, अमीर बनाम गरीब, उत्तर बनाम दक्षिण, विकसित बनाम विकासशील, मुस्लिम बनाम अन्य था। एक ऐसी पटकथा जो संयुक्त राष्ट्र में विभाजन को बढ़ावा देती है। मतभेदों को भड़काने और नफरत पैदा करने की कोशिश जिसे सीधे तौर पर 'घृणा भाषण' कहा जा सकता है।'
मैत्रा ने कहा कि महासभा में विरले ही अवसर का ऐसा 'दुरुपयोग, बल्कि हनन' देखा गया हो। उन्होंने कहा 'कूटनीति में शब्द मायने रखते हैं। 'तबाही' 'खून-खराबा', 'नस्लीय श्रेष्ठता', 'बंदूक उठाओ' और 'अंत तक लड़ाई' करो जैसे वाक्यांशों का इस्तेमाल मध्यकालीन मानसिकता को दर्शाता है न कि 21वीं सदी की दूरदृष्टि को।'
मैत्रा ने कहा कि खान की 'परमाणु विध्वंस की धमकी अस्थिरता का सूचक है न कि शासन कला की।' उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री खान का आतंकवाद पर स्पष्टीकरण भड़काऊ है। उन्होंने कहा, 'भारत के लोगों को अपने लिए बोलने वाले किसी व्यक्ति की जरूरत नहीं है और कम से कम उनकी तो बिल्कुल नहीं जिन्होंने नफरत की विचारधारा से आतंकवाद का कारोबार खड़ा किया है।'
खान ने अपने भाषण में संयुक्त राष्ट्र पर्यवेक्षकों को यह पुष्टि करने के लिए पाकिस्तान आने का न्योता दिया कि वहां कोई आतंकवादी संगठन नहीं है। मैत्रा ने कहा कि दुनिया उन्हें उस वादे पर कायम रखेगा। उन्होंने कहा कि कुछ सवाल है जिस पर पाकिस्तान प्रस्तावित सत्यापन के अग्रदूत के रूप में जवाब दे सकता है और वह है कि क्या खान 'न्यूयॉर्क शहर से इस बात से मना कर पाएंगे कि वह ओसामा बिन लादेन के खुलेआम समर्थक थे?' उन्होंने कहा, 'क्या पाकिस्तान इस बात की पुष्टि कर सकता है कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित 130 आतंकवादी और 25 आतंकवादी संगठन उसके यहां नहीं है?' उन्होंने कहा, 'क्या पाकिस्तान यह मानेगा कि वह दुनिया में एकमात्र देश है जो संयुक्त राष्ट्र की अलकायदा और इस्लामिक स्टेट प्रतिबंध सूची में शामिल लोगों को पेंशन देता है।'